Sonia Jadhav

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मेरी अना- भाग 16

मेरी अना - भाग 16

अना अपने घर के दरवाज़े के बाहर खड़ी थी अनिकेत के साथ। उसने एक बार फिर कहा अनिकेत से….सोच लो अनिकेत।
अनिकेत ने अना को चुप रहने का इशारा किया और धीरे से एक बात कही….अंदर जो भी होगा, उसमें तुम एक शब्द भी नहीं बोलोगी।
अना ने चुपचाप हामी भर दी।

अना के डोरबेल बजाते ही माँ ने दरवाज़ा खोला।
माँ अनिकेत आया है आप से मिलने।
अना की माँ खुश हो गयीं अनिकेत को देखकर, उन्होंने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। अनिकेत ने उनके पाँव छूकर कहा…..नमस्ते माँ, कैसी हैं आप?

मैं ठीक हूँ बेटा, तुम बैठो ना।
अनिकेत ने सोफे पर बैठते ही पूछा……माँ भूख लगी है बड़ी जोरों से, कुछ बनाया है खाने को तो दो ना?

हाँ-हाँ अनिकेत, लायी अभी।
अना अनिकेत को देखी ही जा रही थी, जैसे पूछ रही हो अब यह सब क्या है?

अनिकेत ने मुस्कुराते हुए धीरे से कहा….तुम्हारी मम्मी को अपनी तरफ करने की कोशिश कर रहा हूँ।

अना हैरान थी अनिकेत को देखकर, वो ऐसे बैठा था उसके घर में जैसे उसका रोज़ का आना जाना हो घर में।
अना ने रसोई में जाकर अपनी माँ से पिता के बारे में पूछा तो पता चला अभी आने में देर है।

उसने मन ही मन सोचा अच्छा है उन्हें आने में देर है, अनिकेत जल्दी चला जायेगा। वो नहीं चाहती थी उसके पापा अनिकेत की बेज्जती करें।

अनिकेत के खाना खाने के बाद अना के कहा कि उसके पिता को आने में देर हो जायेगी, बेहतर है कि वो अपने होटल वापिस चला जाए, वैसे भी उसकी फ्लाइट है सुबह की। लेकिन अनिकेत ने जाने से इंकार कर दिया। अना को गुस्सा आ रहा था अनिकेत की इस जिद पर।

कुछ ही देर में अना के पिता घर आ गए और अनिकेत को घर में बैठा देख स्तब्ध हो गए। अनिकेत ने उनके पांव छुए, तो आशीर्वाद देने के बजाय वो अनिकेत से उससे उनके घर पर होने की वजह पूछने लगे।

अनिकेत ने बिना लाग-लपेट के सीधा-सीधा बोल दिया कि वो अना से शादी करना चाहता है।

अना को लग रहा था कि उसके पिता अभी गुस्से से अनिकेत पर चीखेंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
उन्होंने शांति से अनिकेत से पूछा…..तुम्हारे पिता को मालूम है इस बारे में?

अनिकेत ने झूठ कह दिया….हाँ उन्हें मालूम है और उन्हें कोई एतराज़ नहीं है। अगर वो सच कह देता तो क्या पता वो उसके पापा को देहरादून फोन करके कुछ उल्टा-सीधा सुनाने लगते पहले की तरह इसलिए उसने झूठ बोलना ही बेहतर समझा।

आजकल क्या कर रहे हो अनिकेत?

जी।मैं "तेज खबर" न्यूज़ चैनल में रिपोर्टर हूँ।

अना के पापा हँसने लगे….तुम रिपोर्टर और अना एयरहोस्टेस, कैसे निभाओगे एक दूसरे के साथ। अना की ड्यूटी का तो कुछ पता नहीं होता कभी दिन में भी जाना पड़ता है कभी रात में और कभी तो कुछ दिनों तक गायब भी रहती है।

जब तुम घर पर रहोगे तो अना नहीं रहेगी और जब वो घर पर रहेगी तो पता चले तुम अपने काम के सिलसिले में गायब रहोगे।

अना को खाना बनाना नहीं आता, उसने कभी घर का काम नहीं किया है। ज़िद्दी कितनी है यह तो तुम्हें पता ही होगा। अना अच्छी पत्नी साबित नहीं हो पायेगी अनिकेत।

अना की आँखों में आंसू और गुस्सा था, वो बस अनिकेत के कहने पर चुप थी। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि एक पिता अपनी बेटी के लिए ऐसे शब्द भी बोल सकता है।

अना की माँ ने बीच में बात बदलने की कोशिश की…….मैंने भी खाना बनाना शादी के बाद ही सीखा था, अना भी सीख लेगी।
अना के पापा ने यह सब इसलिए कहा ताकि वो देख पाएं तुम्हारा प्यार कितना सच्चा है अना के लिए।

तभी अना के पापा ने कहा….तुम दोनों की शादी तभी चल पायेगी जब अना एयरहोस्टेस की नौकरी छोड़कर कुछ और कर ले। टीचर की नौकरी कर लेगी तो घर और बाहर दोनों संभाल पायेगी वरना तो तुम दोनों की शादी का कोई भविष्य नहीं है।

अनिकेत इतनी देर से बैठा चुपचाप सुन रहा था, उसने एक ही बात कही….हमें बस आपके आशीर्वाद की जरूरत है, जब तक वो साथ है हमारा भविष्य सुरक्षित है। शादी के खर्चे की आप चिंता ना करे, वो मैं और अना संभाल लेंगे। जल्दी ही मेरे मम्मी पापा आपसे मिलने आएंगे।

ठीक है अनिकेत जैसी तुम्हारी मर्ज़ी। इतना कहकर उसके पापा अंदर अपने कमरे में चले गए। अना अनिकेत को छोड़ने नीचे चली गयी।

अना की आँखें आँसुओं से भरी हुईं थीं। उसने रोते हुए कहा……..मेरे पापा ने ठीक कहा है अनिकेत मेरे बारे में, मैं अच्छी पत्नी नहीं बन पाऊँगी, तुम सोच लो।

पिछले पांच सालों से तुम्हारे बारे में ही सोच रहा हूँ अना, फैसला ले चुका हूँ। अनिकेत को अना ही चाहिए।

अपने पापा की बातों को दिल से लगाने की जरूरत नहीं है। अब पहले की तरह धमका तो सकते नहीं है हमें, बस इसलिए यह सब कहा उन्होंने।

मैं चाहता हूँ तुम सिर्फ और सिर्फ अनिकेत के बारे में सोचो। शादी की सारी तैयारियाँ हम दोनों को ही करनीं है। इसलिए अपने पापा से ध्यान हटाकर सारा ध्यान हमारी शादी पर लगाओ।

अना चुपचाप अनिकेत को देख रही थी, उसकी बातों को सुन रही थी। मन चाह रहा था सब कुछ छोड़कर इसी वक़्त अनिकेत के साथ चली जाए।

अनिकेत ने अना को गले से लगाकर प्यार किया और उसके कानों में धीरे कहा….तुम मेरी अना हो समझी, इतना कहकर अनिकेत चला गया।

अना कुछ देर तक वहीं खड़ी रहकर अनिकेत के बारे में सोचती रही। जो कुछ भी दो दिनों में घटा, उसे उस पर यकीन नहीं हो रहा था। अनिकेत के प्यार ने उसे निशब्द कर दिया था।


अनिकेत जिस फ्लाइट से जा रहा था, सुबह उसी फ्लाइट में अना और निशा की ड्यूटी भी थी। अना अनिकेत को देखकर मुस्करायी। अनिकेत ने अना की दी हुई शर्ट पहनी थी। निशा काम के साथ-साथ अनिकेत और अना की आँखों-आँखों में हो रही बातचीत भी देख रही थी। अनिकेत देखने में बहुत सुंदर था अना की तरह। निशा का ध्यान  ना चाहते हुए भी बरबस अनिकेत की ओर ही जा रहा था।


अनिकेत दिल्ली उतर गया था और अना चेन्नई चली गयी थी। दरअसल ये कनेक्टेड फ्लाइट थी मुंबई से दिल्ली और दिल्ली से चेन्नई की। फ्लाइट में निशा के पूछने पर अना ने अनिकेत के बारे में सब कुछ बता दिया निशा को और साथ ही अनिकेत की दी हुई चेन भी दिखाई जो उसने गले में पहनी हुई थी।


निशा हैरान थी अना की प्रेमकहानी सुनकर…. पांच साल तक एक दूसरे को देखा नहीं, सिर्फ फोन पर बात करते थे और एक दिन अनिकेत ने अचानक से आकर शादी के लिए प्रोपोज़  कर दिया, गले में चेन भी पहना दी और उसके पापा से भी जाकर मिल लिया। वो यकीन नहीं करती अना की बातों पर अगर उसने अनिकेत को खुद अपनी आँखों से देखा नहीं होता। अनिकेत के लिए कुछ अलग सा लगाव महसूस कर रही थी निशा। बार-बार उसका दिल कह रहा था काश! उसकी जिंदगी में भी कोई अनिकेत होता।


अना और अनिकेत अपने-अपने काम में व्यस्त हो गए थे। कुछ समय बाद बड़ी मुश्किल से समय निकाल कर अनिकेत दो दिन के लिए देहरादून चला गया अपने माता पिता से अना के बारे में बात करने के लिए। अनिकेत को विश्वास था कि उसके माता पिता इस रिश्ते के लिए मान जाएंगे। अनिकेत का रिश्ता अपने पिता के साथ पहले से काफी बेहतर हो चुका था। वो अब उनसे खुलकर बात करने लगा था।वैसे भी अनिकेत अब पहले वाला अनिकेत नहीं रहा था। कॉलेज करने और नौकरी लगने के बाद उसका आत्मविश्वास दुगना हो चुका था।


उसने जब घर में अना की बात छेड़ी तो उसके पापा हैरान हो गए यह जानकर कि अनिकेत अभी भी अनाहिता से जुड़ा हुआ है और उससे शादी करना चाहता है।

अनिकेत जो उस वक़्त नहीं कह पाया था अपने पिता से अना को लिखे उन खतों की सच्चाई, आज उसने अना और अपने रिश्ते को लेकर सारा सच बता दिया था। सारी सच्चाई सुनने के बाद अनिकेत के पापा को बहुत पछतावा हो रहा था अपने बर्ताव पर जो उन्होंने सालों पहले अनिकेत के साथ किया था। बिना उसका पक्ष जाने उसे थप्पड़ मार दिया था, आर्ट्स लेने पर कितना सुनाया था उसे। अगर उस लड़की ने अनिकेत का साथ उस वक़्त नहीं दिया होता तो वो कब का निराशा के अंधेरों में डूब चुका होता। 

उन्हें तो एहसान मानना चाहिए था अना का, अनिकेत की जिंदगी को नई दिशा देने के लिए। उन्हें लगा यही मौका है अपनी गलतियों को सुधारने का, उन्होंने शादी के लिए हाँ कह दी। अनिकेत की मम्मी शक्कर ले आयीं सबका मुँह मीठा करने के लिए। घर में ख़ुशी का।माहौल था। रात को अनिकेत अना को फोन करके यह खुशखबरी सुनाना चाहता था लेकिन फोन बंद आ रहा था, सोचा शायद फ्लाइट में होगी। उसने अना को मैसेज रिकॉर्ड करके भेज दिया…..अना खुशखबरी है मम्मी  पापा ने शादी के लिए हाँ कर दी है। समय मिलते ही मम्मी पापा के साथ मुंबई आने की योजना बनाता हूँ। बहुत सारी बातें करनी है मुझे मेरी अना से, समय मिलते ही फोन करना।


वक़्त मिलते ही जब अना ने अनिकेत का मैसेज सुना तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उसे यकीन नहीं हो रहा था यह सब सपना है या हकीकत। कुछ ही महीनों में उसकी शादी हो जायेगी अनिकेत से और वो अनाहिता रावत से अनाहिता अनिकेत शर्मा बन जायेगी। कितना सुखद लग रहा था उसे मन ही मन खुद को अनाहिता अनिकेत शर्मा कहना। ऐसा लग रहा था जैसे अनाहिता और अनिकेत एक ही हैं।


अना ने अनिकेत को फोन लगाया जिसे अनिकेत ने झट से उठा लिया मानो जैसे उसी के फोन के इंतज़ार में बैठा हुआ हो।

कैसा लगा अना यह खुशखबरी सुनकर?


ओह अनिकेत मेरे पास शब्द नहीं है अपनी भवनाओं को व्यक्त करने के लिए। ऐसा लग रहा है जैसे कोई सुहाना सपना देख रही हूँ।

अना देखना हमारे सारे सपने सच होंगे। समय मिले तो दिल्ली में आकर मिलो मुझसे। शादी की तैयारी हम दोनों को ही करनी है। मैं अपनी तरफ से दो-चार घर देखकर रखता हूँ, तुम आओगी तो फाइनल कर लेंगे। बाकि शादी के बाद तो तुम्हें दिल्ली ही रहना है तो अपने ऑफिस में यह सारी बातें कर लो ताकि बाद में कोई परेशानी ना हो।


ठीक है अनिकेत, और कोई आदेश?

फिलहाल के लिए इतना ही, बाद में बात करते हैं।


अनिकेत और अना अपने-अपने काम में इतने व्यस्त थे कि मिलने के लिए समय निकाल पाना उनके लिए आसान नहीं था और ऊपर से अभी दोनों के माता पिता का मिलना भी बाकी था। अनिकेत के माता पिता चाहते थे कि अना का परिवार देहरादून आए मिलने के लिए और अना का परिवार चाहता था कि अनिकेत का परिवार मुम्बई आए शादी की बात करने के लिए।


अनिकेत के पिता ने शादी के लिए हाँ सिर्फ अनिकेत की ख़ुशी के लिए की थी। वैसे भी वो अभी तक अना के पिता की फोन पर धमकाने वाली बात भूले नहीं थे। काफी चर्चा के बाद अनिकेत और अना ने यह फैसला लिया कि दोनों के परिवार दिल्ली में मिलेंगे।


दिल्ली में जहाँ अनिकेत किराये पर रहता था उसी घर में दोनों परिवारों की मुलाकात हुई। मुलाकात इतनी औपचारिक थी कि अगर वो लोग नहीं भी मिलते तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता। आपसी सहमति से तय हुआ कि शादी में सिर्फ करीबी रिश्तेदारों को ही न्यौता दिया जायेगा, बाकी अना और अनिकेत के ऑफिस से कुछ खास दोस्तों को निमंत्रण दिया जायेगा। 

अनिकेत के माता पिता को अना पसन्द थी लेकिन उसके पिता की सालों पहले की गयी हरकत को वो अभी तक भूले नहीं थे। रही बात अना के पिता की तो वो अना के विद्रोही स्वाभाव के खिलाफ थे। अना शुरू से ही उनके फैसलों को चुनौती देती आयी थी, यह बात उन्हें बहुत खलती थी। लेकिन इस बार उन्होंने चुपचाप हाँ कह दी थी, उन्हें यकीन था यह शादी ज्यादा दिन चलेगी नहीं। वो अनिकेत के दिमाग में अना की कमियों का बीज बो चुके थे, उम्मीद थी वो बीज कभी ना कभी तो फलेगा।


पिता की ऐसी सोच कुछ हद तक मन को विचलित करती है। कभी-कभी कुछ पुरुषों के अंदर पितृ भाव की बजाय पुरुष होने का अहंकार अधिक रहता है और उनके अहंकार को कोई चुनौती दे, यह बर्दाश्त करना उनके बस की बात नहीं है। ऐसा ही कुछ अना के पिता का भी हाल था।


❤सोनिया जाधव

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2 Comments

Sandhya Prakash

01-Mar-2022 11:02 PM

Bahut badhiya...

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Seema Priyadarshini sahay

01-Mar-2022 06:46 PM

बहुत बेहतरीन भाग सोनिया जी

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